Heart Broken Poetry of Hasan Nayeem
नाम | हसन नईम |
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अंग्रेज़ी नाम | Hasan Nayeem |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 1991 |
रूह का लम्बा सफ़र है एक भी इंसाँ का क़ुर्ब
ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है
जो मेरे दश्त-ए-जुनूँ में था फ़र्क़-ए-रू-ए-बहार
जो भी कहना है कहो साफ़ शिकायत ही सही
इतना रोया हूँ ग़म-ए-दोस्त ज़रा सा हँस कर
तशवीश
निदा-ए-तख़्लीक़
एक दरख़्त एक तारीख़
बे-इल्तिफ़ाती
यही तो ग़म है वो शाइ'र न वो सियाना था
याद का फूल सर-ए-शाम खिला तो होगा
वो भी कहता था कि उस ग़म का मुदावा ही नहीं
वहशत-ए-जाँ को पयाम-ए-निगह-ए-नाज़ तो दो
उसी ख़ुश-नवा में हैं सब हुनर मुझे पहले था न क़यास भी
उम्मीद ओ यास ने क्या क्या न गुल खिलाए हैं
सुब्ह-ए-तरब तो मस्त-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ गुज़र गई
रश्क अपनों को यही है हम ने जो चाहा मिला
रात गुज़री कि शब-ए-वस्ल का पैग़ाम मिला
क़सीदा तुझ से ग़ज़ल तुझ से मर्सिया तुझ से
क़ल्ब-ओ-जाँ में हुस्न की गहराइयाँ रह जाएँगी
ना-उमीदी ने यूँ सताया था
मिला न काम कोई उम्र-भर जुनूँ के सिवा
माल-ओ-मता-ए-दश्त सराबों को दे दिया
मैं किस वरक़ को छुपाऊँ दिखाऊँ कौन सा बाब
मैं ग़ज़ल का हर्फ़-ए-इम्काँ मसनवी का ख़्वाब हूँ
लुत्फ़-ए-आग़ाज़ मिला लज़्ज़त-ए-अंजाम के बा'द
कू-ए-रुसवाई से उठ कर दार तक तन्हा गया
कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे
कोह के सीने से आब-ए-आतशीं लाता कोई
किसे बताऊँ कि वहशत का फ़ाएदा क्या है