Khawab Poetry of Hasan Nayeem
नाम | हसन नईम |
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अंग्रेज़ी नाम | Hasan Nayeem |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 1991 |
सरा-ए-दिल में जगह दे तो काट लूँ इक रात
कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे
निदा-ए-तख़्लीक़
एक दरख़्त एक तारीख़
बे-इल्तिफ़ाती
सुब्ह-ए-तरब तो मस्त-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ गुज़र गई
रात गुज़री कि शब-ए-वस्ल का पैग़ाम मिला
क़सीदा तुझ से ग़ज़ल तुझ से मर्सिया तुझ से
क़ल्ब-ओ-जाँ में हुस्न की गहराइयाँ रह जाएँगी
न मेरे ख़्वाब को पैकर न ख़द्द-ओ-ख़ाल दिया
माल-ओ-मता-ए-दश्त सराबों को दे दिया
मैं किस वरक़ को छुपाऊँ दिखाऊँ कौन सा बाब
मैं जनम जनम का अनीस हूँ किसी तौर दिल में बसा मुझे
मैं ग़ज़ल का हर्फ़-ए-इम्काँ मसनवी का ख़्वाब हूँ
कू-ए-रुसवाई से उठ कर दार तक तन्हा गया
कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे
किसे बताऊँ कि वहशत का फ़ाएदा क्या है
ख़्वाब ठहरा सर-ए-मंज़िल न तह-ए-बाम कभी
ख़्वाब की राह में आए न दर-ओ-बाम कभी
ख़ुर्शीद की निगाह से शबनम को आस क्या
ख़याल-ओ-ख़्वाब में कब तक ये गुफ़्तुगू होगी
जादू-ए-ख़्वाब में कुछ ऐसे गिरफ़्तार हुए
जब कभी मेरे क़दम सू-ए-चमन आए हैं
गया वो ख़्वाब-ए-हक़ीक़त को रू-ब-रू कर के
दिल में उतरोगे तो इक जू-ए-वफ़ा पाओगे
दिल में हो आस तो हर काम सँभल सकता है
बिछ्ड़ें तो शहर भर में किसी को पता न हो
बयान-ए-शौक़ बना हर्फ़-ए-इज़्तिराब बना
आरज़ू थी कि तिरा दहर भी शोहरा होवे