अहल-ए-हवस के हाथों न ये कारोबार हो

अहल-ए-हवस के हाथों न ये कारोबार हो

आबाद हों सितारे ज़मीं रेगज़ार हो

इक शान ये भी जीने की है जी रहे हैं लोग

तूफ़ान से लगाओ समुंदर से प्यार हो

हालात में कभी ये तवाज़ुन दिखाई दे

ग़म मुस्तक़िल रहे न ख़ुशी मुस्तआ'र हो

नफ़रत के संग-रेज़ों की बारिश थमे कभी

दैर-ओ-हरम के बीच सफ़र ख़ुश-गवार हो

सदियों से घुल रही है इसी फ़िक्र में हयात

रहज़न से पाक ज़ीस्त की हर रहगुज़ार हो

बाद-ए-सुमूम लूट ले चेहरों की ताज़गी

अगली सदी की ऐसी न फ़स्ल-ए-बहार हो

'नजमी' जो अपने अहद की तारीख़ बन गए

उन शाइ'रों में काश मिरा भी शुमार हो

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Ahl-e-hawas Ke Hathon Na Ye Karobar Ho In Hindi By Famous Poet Hasan Najmi Sikandarpuri. Ahl-e-hawas Ke Hathon Na Ye Karobar Ho is written by Hasan Najmi Sikandarpuri. Complete Poem Ahl-e-hawas Ke Hathon Na Ye Karobar Ho in Hindi by Hasan Najmi Sikandarpuri. Download free Ahl-e-hawas Ke Hathon Na Ye Karobar Ho Poem for Youth in PDF. Ahl-e-hawas Ke Hathon Na Ye Karobar Ho is a Poem on Inspiration for young students. Share Ahl-e-hawas Ke Hathon Na Ye Karobar Ho with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.