Sad Poetry of Hasan Kamal
नाम | हसन कमाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Hasan Kamal |
कविताएं
Ghazal 10
Love 7
Sad 7
Heart Broken 7
Bewafa 1
Hope 2
Friendship 3
Islamic 1
ख्वाब 3
Sharab 1
सर उठा कर न कभी देखा कहाँ बैठे थे
सब की बिगड़ी को बनाने निकले
कितनी मुश्किल से बहला था ये क्या कर गई शाम
झुलसे बदन न सुलगें आँखें ऐसे हैं दिन-रात मिरे
इनायत कम मोहब्बत कम वफ़ा कम
दिल लुटेगा जहाँ ख़फ़ा होगा
बिसात दिल की भला क्या निगाह-ए-यार में है