तिरी जुदाई ने ये क्या बना दिया है मुझे
तिरी जुदाई ने ये क्या बना दिया है मुझे
मैं एक जिस्म था साया बना दिया है मुझे
समुंदरों से कोई कम न थी मिरी औक़ात
बस एक दर्द ने सहरा बना दिया है मुझे
पुराने लोग समझते थे कुछ नया हूँ मैं
नए दिनों ने पुराना बना दिया है मुझे
जो उस से रिश्ता था सब को बताए जाता है
गए दिनों का हवाला बना दिया है मुझे
'हसन-जमील' उन आँखों की क्या करूँ तारीफ़
ख़ुदा को मानने वाला बना दिया है मुझे
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