पूछते जाते हैं ये हम सब से
मजलिस-ए-वाज़ में शराब भी है
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राज़-ए-दिल लाते हैं ज़बाँ तक हम
हर सुख़न में वो सेहर करते हैं
वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब
जब मिरा महर जल्वा-गर होगा
हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला
चोट जब दिल पर लगे फ़रियाद पैदा क्यूँ न हो
देखे अगर ये गर्मी-ए-बाज़ार आफ़्ताब
जो ख़ास जल्वे थे उश्शाक़ की नज़र के लिए
आई क्या जी में तेग़-ए-क़ातिल के
हमारे घर से जाना मुस्कुरा कर फिर ये फ़रमाना
मिल गया दिल निकल गया मतलब