एक कह कर जिस ने सुननी हो हज़ारों बातें
वो कहे उन से मुझे आप से कुछ कहना है
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वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब
छुप गया यार ख़ुद-नुमा हो कर
आईना तुम्हारे नक़्श-ए-पा का
अब्र है गुलज़ार है मय है ख़ुशी का दौर है
पूछते जाते हैं ये हम सब से
दिल को जानाँ से 'हसन' समझा-बुझा के लाए थे
राज़-ए-दिल लाते हैं ज़बाँ तक हम
देखे अगर ये गर्मी-ए-बाज़ार आफ़्ताब
गुलशन-ए-ख़ुल्द की क्या बात है क्या कहता है
हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला
उल्फ़त हो किसी की न मोहब्बत हो किसी की