कौन कहता है कि आ कर देख लो
हाल आशिक़ का बुला कर देख लो
पूछते क्या हो कि दिल में कौन है
लो ये आईना उठा कर देख लो
पूछना ये है कि पूछो मुझ से हाल
देखना ये है कि आ कर देख लो
वो अगर देखे तो आँखें फूट जाएँ
तुम 'हसन' को छुप-छुपा कर देख लो
Rahat Indori
Wasi Shah
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Gulzar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(687) Peoples Rate This
हर सुख़न में वो सेहर करते हैं
वो मुझ से बे-ख़बर हैं उन की आदत ही कुछ ऐसी है
मिरे मरने से तुम को फ़िक्र ऐ दिलदार कैसी है
कुछ हसीनों की मोहब्बत भी बुरी होती है
उल्फ़त हो किसी की न मोहब्बत हो किसी की
ओ वस्ल में मुँह छुपाने वाले
देखे अगर ये गर्मी-ए-बाज़ार आफ़्ताब
क्या कहूँ क्या है मेरे दिल की ख़ुशी
हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो
जो ख़ास जल्वे थे उश्शाक़ की नज़र के लिए
इश्क़ में बे-ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ 'हसन'
जान अगर हो जान तो क्यूँ-कर न हो तुझ पर निसार