Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_542bfd4a1754ccc480c7107f3b27e0d0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कहा जब तुम से चारा दर्द-ए-दिल का हो नहीं सकता - हसन बरेलवी कविता - Darsaal

कहा जब तुम से चारा दर्द-ए-दिल का हो नहीं सकता

कहा जब तुम से चारा दर्द-ए-दिल का हो नहीं सकता

तो झुँझला कर कहा तेरा कलेजा हो नहीं सकता

वो अपनी ज़िद के पूरे हट के पूरे आन के पूरे

फ़क़त इतनी कमी है क़ौल पूरा हो नहीं सकता

कहाँ की चारा-फ़रमाई अयादत तक नहीं करते

मसीहाई पे मरते हैं और इतना हो नहीं सकता

सर-ए-तूर उन के जल्वे ने पुकारा ख़ुद-नुमा हो कर

कि अपने चाहने वाले से पर्दा हो नहीं सकता

कहा जब उन से मेरी ज़िंदगी तुम हो कहा हँस कर

मैं समझा अब तुम्हें मेरा भरोसा हो नहीं सकता

मिरा घर ग़ैर का घर तो नहीं क्यूँ-कर वो खुल खेलें

निगाहें उठ नहीं सकतीं इशारा हो नहीं सकता

'शरफ़' और 'रश्क' के कहने से कुछ तुक-बंदियाँ कर लीं

'हसन' अफ़्कार में हम से दो-ग़ज़ला हो नहीं सकता

(773) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kaha Jab Tum Se Chaara Dard-e-dil Ka Ho Nahin Sakta In Hindi By Famous Poet Hasan Barelvi. Kaha Jab Tum Se Chaara Dard-e-dil Ka Ho Nahin Sakta is written by Hasan Barelvi. Complete Poem Kaha Jab Tum Se Chaara Dard-e-dil Ka Ho Nahin Sakta in Hindi by Hasan Barelvi. Download free Kaha Jab Tum Se Chaara Dard-e-dil Ka Ho Nahin Sakta Poem for Youth in PDF. Kaha Jab Tum Se Chaara Dard-e-dil Ka Ho Nahin Sakta is a Poem on Inspiration for young students. Share Kaha Jab Tum Se Chaara Dard-e-dil Ka Ho Nahin Sakta with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.