हसन बरेलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हसन बरेलवी
नाम | हसन बरेलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hasan Barelvi |
जन्म की तारीख | 1859 |
मौत की तिथि | 1908 |
जन्म स्थान | Bareilly |
उल्फ़त हो किसी की न मोहब्बत हो किसी की
शीशा उठा कर ताक़ से हम ने
पूछते जाते हैं ये हम सब से
ओ वस्ल में मुँह छुपाने वाले
क्या कहूँ क्या है मेरे दिल की ख़ुशी
किस के चेहरे से उठ गया पर्दा
जो ख़ास जल्वे थे उश्शाक़ की नज़र के लिए
जान अगर हो जान तो क्यूँ-कर न हो तुझ पर निसार
इश्क़ में बे-ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ 'हसन'
हमारे घर से जाना मुस्कुरा कर फिर ये फ़रमाना
गुलशन-ए-ख़ुल्द की क्या बात है क्या कहता है
एक कह कर जिस ने सुननी हो हज़ारों बातें
दिल को जानाँ से 'हसन' समझा-बुझा के लाए थे
देख आओ मरीज़-ए-फ़ुर्क़त को
चोट जब दिल पर लगे फ़रियाद पैदा क्यूँ न हो
बोले वो बोसा-हा-ए-पैहम पर
अब्र है गुलज़ार है मय है ख़ुशी का दौर है
आप की ज़िद ने मुझे और पिलाई हज़रत
आई क्या जी में तेग़-ए-क़ातिल के
वो मुझ से बे-ख़बर हैं उन की आदत ही कुछ ऐसी है
वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब
उन का जल्वा नहीं देखा जाता
तुम भी हो ख़ंजर-ए-खुशाब भी है
राज़-ए-दिल लाते हैं ज़बाँ तक हम
मिल गया दिल निकल गया मतलब
मिरे मरने से तुम को फ़िक्र ऐ दिलदार कैसी है
कुछ हसीनों की मोहब्बत भी बुरी होती है
किस ने सुनाया और सुनाया तो क्या सुना
कौन कहता है कि आ कर देख लो
कहा जब तुम से चारा दर्द-ए-दिल का हो नहीं सकता