Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5abe77eb10bc70572f9a04fda6559660, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शब की दहलीज़ से किस हाथ ने फेंका पत्थर - हसन अख्तर जलील कविता - Darsaal

शब की दहलीज़ से किस हाथ ने फेंका पत्थर

शब की दहलीज़ से किस हाथ ने फेंका पत्थर

हो गया सुब्ह का महका हुआ चेहरा पत्थर

कुछ अनोखी तो नहीं मेरी मोहब्बत की शिकस्त

आइने जब भी मुक़ाबिल हुए जीता पत्थर

इस तिलिस्मात की वादी में पलट कर भी न देख

वर्ना हो जाएगा ख़ुद तेरा सरापा पत्थर

याद की लहर बहा लाई है किस देस मुझे

है यहाँ वक़्त का बहता हुआ दरिया पत्थर

किस के पैकर में समाता मिरे एहसास का लोच

मैं ने इंसाँ से ख़जिल हो के तराशा पत्थर

तेरी आँखों में अभी नींद के डोरे क्यूँ हैं

याँ तो इक चोट से हो जाते हैं बीना पत्थर

कुंद कर देता है यूँ ज़ेहन को हालात का ज़हर

जैसे बन जाए चमकता हुआ सोना पत्थर

तेरी सोचों की क़सम ऐ मिरे ख़ामोश ख़ुदा

मुझ से करते हैं इताअत का तक़ाज़ा पत्थर

मुझ से मायूस न पलटे मिरी तक़दीर के ग़म

मेरी उँगली में न था कोई चमकता पत्थर

कितनी दिलदार है साहिल की चमकती हुई रेत

अब नहीं पाँव-तले कोई नुकीला पत्थर

मैं सर-ए-दार खड़ा हूँ कई सदियों से 'जलील'

कौन मारेगा मिरे जिस्म पे पहला पत्थर

(1025) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Shab Ki Dahliz Se Kis Hath Ne Phenka Patthar In Hindi By Famous Poet Hasan Akhtar Jaleel. Shab Ki Dahliz Se Kis Hath Ne Phenka Patthar is written by Hasan Akhtar Jaleel. Complete Poem Shab Ki Dahliz Se Kis Hath Ne Phenka Patthar in Hindi by Hasan Akhtar Jaleel. Download free Shab Ki Dahliz Se Kis Hath Ne Phenka Patthar Poem for Youth in PDF. Shab Ki Dahliz Se Kis Hath Ne Phenka Patthar is a Poem on Inspiration for young students. Share Shab Ki Dahliz Se Kis Hath Ne Phenka Patthar with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.