आरज़ू की हमा-हामी और मैं
आरज़ू की हमा-हामी और मैं
दर्द-ए-दिल दर्द-ए-ज़िंदगी और मैं
मौजा-ए-क़ुलज़ुम-ए-अबद और तू
चंद बूंदों की तिश्नगी और मैं
रात-भर तेरी राह तकते रहे
तेरे कूचे की रौशनी और मैं
छुप के मिलते हैं तेरी यादों से
शब की तन्हाई चाँदनी और मैं
एक ही राह के मुसाफ़िर हैं
बे-कराँ रात ख़ामुशी और मैं
रात उस पैकर-ए-ख़याल के पास
चंद फूलों की बॉस थी और मैं
ये भी इक मंज़िल-ए-जुनूँ थी 'जलील'
वर्ना ज़िंदान-ए-आगही और मैं
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