क्या तर्जुमानी-ए-ग़म-ए-दुनिया करें कि जब
क्या तर्जुमानी-ए-ग़म-ए-दुनिया करें कि जब
फ़न में ख़ुद अपना ग़म भी समोया न जा सका
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क्या तर्जुमानी-ए-ग़म-ए-दुनिया करें कि जब
फ़न में ख़ुद अपना ग़म भी समोया न जा सका
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