याद-ए-याराँ दिल में आई हूक बन कर रह गई
याद-ए-याराँ दिल में आई हूक बन कर रह गई
जैसे इक ज़ख़्मी परिंदा जिस के पर टूटे हुए
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जैसे इक ज़ख़्मी परिंदा जिस के पर टूटे हुए
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