हवा सैराब करती है
ज़मीनें चाहिएँ लम्बा तअल्लुक़ काश्त करने को
कहीं रहने को बसने को
मगर मैं तो
तुम्हारी ज़िंदगी के गर्म मौसम में
हवा का एक झोंका था
हवा बहती हुई आती है
अपने पानियों में
जिस्म-ओ-जाँ के हब्स को ग़र्क़ाब करती है
हवा पर घर नहीं बनते
हवा से साँस आती है
हवा सैराब करती है
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