जो ठोकर ही नहीं खाते वो सब कुछ हैं मगर वाइज़
जो ठोकर ही नहीं खाते वो सब कुछ हैं मगर वाइज़
वो जिन को दस्त-ए-रहमत ख़ुद सँभाले और होते हैं
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जो ठोकर ही नहीं खाते वो सब कुछ हैं मगर वाइज़
वो जिन को दस्त-ए-रहमत ख़ुद सँभाले और होते हैं
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