शैख़ ओ पंडित धर्म और इस्लाम की बातें करें
शैख़ ओ पंडित धर्म और इस्लाम की बातें करें
कुछ ख़ुदा के क़हर कुछ इनआम की बातें करें
यास-ओ-हिरमान-ओ-ग़म-ओ-आलाम की बातें करें
आ दिल-ए-ईज़ा-तलब कुछ काम की बातें करें
ये सुनाएँ पाक नग़्मे अव्वलीं इल्हाम के
वो ख़ुदा के आख़िरी पैग़ाम की बातें करें
हम खड़े सुनते रहें और दिल में ये कहते रहें
अब ये रुख़्सत हों तो हम कुछ काम की बातें करें
दोस्त से कह दें दिल-ए-बे-मुद्दआ की दास्ताँ
आज साक़ी से शिकस्त-ए-जाम की बातें करें
उम्र भर का अहद-ए-उल्फ़त इक ख़याल-ए-ख़ाम था
आओ लेकिन इस ख़याल-ए-ख़ाम की बातें करें
ज़िंदगी बे-शक तिरा इनआम है या-रब मगर
सुन सके तो कुछ तिरे इनआम की बातें करें
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