उठ के दर से तुम्हारे अगर जाएँगे
उठ के दर से तुम्हारे अगर जाएँगे
तुम ही कह दो कहाँ और किधर जाएँगे
जाँ दे देंगे हम पे मर जाएँगे
जाँ-निसारों में नाम अपना कर जाएँगे
तेरे आसी भी हैं तुझ से उल्फ़त भी है
क़हर भी तेरा तेरी रहमत भी है
तेरा दोज़ख़ भी है तेरी जन्नत भी है
तू जिधर भेज देगा उधर जाएँगे
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