Sad Poetry of Haqeer
नाम | हक़ीर |
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अंग्रेज़ी नाम | Haqeer |
मुझे अब मौत बेहतर ज़िंदगी से
छा गई एक मुसीबत की घटा चार तरफ़
साक़िया ऐसा पिला दे मय का मुझ को जाम तल्ख़
ना-तवाँ वो हूँ कि दम भर नहीं बैठा जाता
किस की उस तक रसाई होती है
काबा-ए-दिल को अगर ढाइएगा
हमारी वो वफ़ादारी कि तौबा
बहार आई है सदमे से हमारा हाल अबतर है
ऐ यास जो तू दिल में आई सब कुछ हुआ पर कुछ भी न हुआ