Ghazals of Haqeer
नाम | हक़ीर |
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अंग्रेज़ी नाम | Haqeer |
तिफ़्ली पीरी ओ नौजवानी हेच
साक़िया ऐसा पिला दे मय का मुझ को जाम तल्ख़
ना-तवाँ वो हूँ कि दम भर नहीं बैठा जाता
किस की उस तक रसाई होती है
काबा-ए-दिल को अगर ढाइएगा
जानता उस को हूँ दवा की तरह
हमारी वो वफ़ादारी कि तौबा
दुश्मन हैं वो भी जान के जो हैं हमारे लोग
बहार आई है सदमे से हमारा हाल अबतर है
ऐ यास जो तू दिल में आई सब कुछ हुआ पर कुछ भी न हुआ