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आज सौदा-ए-मोहब्बत की ये अर्ज़ानी है - हेंसन रेहानी कविता - Darsaal

आज सौदा-ए-मोहब्बत की ये अर्ज़ानी है

आज सौदा-ए-मोहब्बत की ये अर्ज़ानी है

काम बे-कार जवानों का ग़ज़ल-ख़्वानी है

ग़म की तकमील का सामान हुआ है पैदा

लाइक़-ए-फ़ख़्र मिरी बे-सर-ओ-सामानी है

संग ओ आहन तो बने आईने उन की ख़ातिर

दिल न आईना बना सख़्त ये हैरानी है

मुझ से इस दर्जा ख़फ़ा क्यूँ हो कोई पर्दा-नशीं

आरज़ू दीद की जब फ़ितरत-ए-इंसानी है

फ़ैसला दिल का मोहब्बत में है रहबर अपना

फ़िक्र किया मंज़िल-ए-जानाँ अगर अनजानी है

वो करें या न करें अपनी जफ़ा से तौबा

मेरे दिल को मगर एहसास-ए-पशेमानी है

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