Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4aa824dd7e2f7f760e52129796eec057, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गर्दिश की रक़ाबत से झगड़े के लिए था - हनीफ़ तरीन कविता - Darsaal

गर्दिश की रक़ाबत से झगड़े के लिए था

गर्दिश की रक़ाबत से झगड़े के लिए था

जो अहद मिरा तितली पकड़ने के लिए था

जिस के लिए सदियाँ कई तावान में दी हैं

वो लम्हा तो मिट्टी में जकड़ने के लिए था

हालात ने की जान के जब दस्त-दराज़ी

हर सुल्ह का पहलू ही झगड़ने के लिए था

मुँह ज़ोरियाँ क्यूँ मुझ से सज़ा-वार थीं उस को

फैलाओ जहाँ उस का सुकड़ने के लिए था

क़ुर्बान थीं बालीदगियाँ नख़्ल-ए-तलब पर

क्या जोश-ए-नुमू आप उखड़ने के लिए था

पानी ने जिसे धूप की मिट्टी से बनाया

वो दाएरा-ए-रब्त बिगड़ने के लिए था

(819) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gardish Ki Raqabat Se JhagDe Ke Liye Tha In Hindi By Famous Poet Hanif Tarin. Gardish Ki Raqabat Se JhagDe Ke Liye Tha is written by Hanif Tarin. Complete Poem Gardish Ki Raqabat Se JhagDe Ke Liye Tha in Hindi by Hanif Tarin. Download free Gardish Ki Raqabat Se JhagDe Ke Liye Tha Poem for Youth in PDF. Gardish Ki Raqabat Se JhagDe Ke Liye Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Gardish Ki Raqabat Se JhagDe Ke Liye Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.