तमाम आलम से मोड़ कर मुँह मैं अपने अंदर समा गया हूँ
तमाम आलम से मोड़ कर मुँह मैं अपने अंदर समा गया हूँ
मुझे न आवाज़ दे ज़माने मैं अपनी आवाज़ सुन रहा हूँ
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तमाम आलम से मोड़ कर मुँह मैं अपने अंदर समा गया हूँ
मुझे न आवाज़ दे ज़माने मैं अपनी आवाज़ सुन रहा हूँ
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