Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_0ef163f67842a0d76cbba77192f631a0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
की नज़र मैं ने जब एहसास के आईने में - हनीफ़ कैफ़ी कविता - Darsaal

की नज़र मैं ने जब एहसास के आईने में

की नज़र मैं ने जब एहसास के आईने में

अपना दिल पाया धड़कता हुआ हर सीने में

मुद्दतें गुज़रीं मुलाक़ात हुई थी तुम से

फिर कोई और न आया नज़र आईने में

अपने काँधों पे लिए फिरता हूँ अपनी ही सलीब

ख़ुद मिरी मौत का मातम है मिरे जीने में

अपने अंदाज़ से अंदाज़ा लगाया सब ने

मुझ को यारों ने ग़लत कर लिया तख़मीने में

अपनी जानिब नहीं अब लौटना मुमकिन मेरा

ढल गया हूँ मैं सरापा तिरे आईने में

एक लम्हे को ही आ जाए मयस्सर 'कैफ़ी'

वो नज़र जो मुझे देखे मिरे आईने में

(944) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ki Nazar Maine Jab Ehsas Ke Aaine Mein In Hindi By Famous Poet Haneef Kaifi. Ki Nazar Maine Jab Ehsas Ke Aaine Mein is written by Haneef Kaifi. Complete Poem Ki Nazar Maine Jab Ehsas Ke Aaine Mein in Hindi by Haneef Kaifi. Download free Ki Nazar Maine Jab Ehsas Ke Aaine Mein Poem for Youth in PDF. Ki Nazar Maine Jab Ehsas Ke Aaine Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share Ki Nazar Maine Jab Ehsas Ke Aaine Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.