Sad Poetry of Haneef Akhgar
नाम | हनीफ़ अख़गर |
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अंग्रेज़ी नाम | Haneef Akhgar |
जन्म की तारीख | 1928 |
मौत की तिथि | 2009 |
जन्म स्थान | america |
याद-ए-फ़रोग़-ए-दस्त-ए-हिनाई न पूछिए
शदीद तुंद हवाएँ हैं क्या किया जाए
किसी के जौर-ए-मुसलसल का फ़ैज़ है 'अख़्गर'
ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे
जो है ताज़गी मिरी ज़ात में वही ज़िक्र-ओ-फ़िक्र-ए-चमन में है
जब भी उस ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ की हवा आती है
बज़्म को रंग-ए-सुख़न मैं ने दिया है 'अख़्गर'
यादों का शहर-ए-दिल में चराग़ाँ नहीं रहा
वो मुझे सोज़-ए-तमन्ना की तपिश समझा गया
वो दिल में और क़रीब-ए-रग-ए-गुलू भी मिले
तोड़ कर जोड़ दिया करते हो क्या करते हो
शिकस्ता दिल किसी का हो हम अपना दिल समझते हैं
संग बरसेंगे और मुस्कुराएँगे हम
नफ़स नफ़स ने उड़ाईं हवाइयाँ क्या क्या
ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे
जल्वों का जो तेरे कोई प्यासा नज़र आया
इतना सुकून तो ग़म-ए-पिन्हाँ में आ गया
इश्क़ में दिल का ये मंज़र देखा
इस तरह मह-रुख़ों को पशेमाँ करेंगे हम
हाल-ए-दिल-ए-बीमार समझ में चारागरों की आए कम
देखना ये इश्क़ में हुस्न-ए-पज़ीराई के रंग
अपनी नज़रों को भी दीवार समझता होगा