जो है ताज़गी मिरी ज़ात में वही ज़िक्र-ओ-फ़िक्र-ए-चमन में है
जो है ताज़गी मिरी ज़ात में वही ज़िक्र-ओ-फ़िक्र-ए-चमन में है
कि वजूद मेरा कहीं भी हो मिरी रूह मेरे वतन में है
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जो है ताज़गी मिरी ज़ात में वही ज़िक्र-ओ-फ़िक्र-ए-चमन में है
कि वजूद मेरा कहीं भी हो मिरी रूह मेरे वतन में है
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