जब भी उस ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ की हवा आती है
जब भी उस ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ की हवा आती है
हम तो ख़ुशबू की तरह घर से निकल जाते हैं
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हम तो ख़ुशबू की तरह घर से निकल जाते हैं
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