हर तरफ़ हैं ख़ाना-बर्बादी के मंज़र बे-शुमार
हर तरफ़ हैं ख़ाना-बर्बादी के मंज़र बे-शुमार
कुछ ठिकाना है भला इस जज़्बा-ए-तामीर का
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हर तरफ़ हैं ख़ाना-बर्बादी के मंज़र बे-शुमार
कुछ ठिकाना है भला इस जज़्बा-ए-तामीर का
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