Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_32854db1e87573112ea80ad31e880651, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिल की मिरे बिसात क्या एक दिया बुझा हुआ - हनीफ़ अख़गर कविता - Darsaal

दिल की मिरे बिसात क्या एक दिया बुझा हुआ

दिल की मिरे बिसात क्या एक दिया बुझा हुआ

तुम ने इसे बजा कहा एक दिया बुझा हुआ

सर पे मुसल्लत की गईं सारे जहाँ की ज़ुल्मतें

और मुझे दे दिया गया एक दिया बुझा हुआ

हम ने तो गुल किए थे ख़ुद अपनी उम्मीद के चराग़

आप ने क्यूँ जला दिया एक दिया बुझा हुआ

दिल से न मेरे पूछिए आलम-ए-तर्क-ए-आरज़ू

ताक़ में जिस के रह गया एक दिया बुझा हुआ

आईना-ए-वजूद में ख़ुद को जो देखने गया

मेरा ही अक्स बन गया एक दिया बुझा हुआ

जब यके-बा'द-दीगरे सारे चराग़ बुझ गए

आप ही आप जल उठा एक दिया बुझा हुआ

आप की क्या मिसाल दूँ आप तो बे-मिसाल हैं

और मिरी मिसाल क्या एक दिया बुझा हुआ

मैं ने तो उस को बख़्श दी क़ल्ब-ओ-नज़र की रौशनी

उस ने ख़याल को दिया एक दिया बुझा हुआ

इश्क़ में ख़ाक हो के भी 'अख़्गर' इक आग सी रही

मुझ में ब-हर-नफ़स जला एक दिया बुझा हुआ

(1021) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil Ki Mere Bisat Kya Ek Diya Bujha Hua In Hindi By Famous Poet Haneef Akhgar. Dil Ki Mere Bisat Kya Ek Diya Bujha Hua is written by Haneef Akhgar. Complete Poem Dil Ki Mere Bisat Kya Ek Diya Bujha Hua in Hindi by Haneef Akhgar. Download free Dil Ki Mere Bisat Kya Ek Diya Bujha Hua Poem for Youth in PDF. Dil Ki Mere Bisat Kya Ek Diya Bujha Hua is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil Ki Mere Bisat Kya Ek Diya Bujha Hua with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.