Love Poetry of Hammad Niyazi
नाम | हम्माद नियाज़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hammad Niyazi |
जन्म की तारीख | 1984 |
जन्म स्थान | Lahore |
सुब्ह सवेरे नंगे पाँव घास पे चलना ऐसा है
कच्ची क़ब्रों पर सजी ख़ुशबू की बिखरी लाश पर
दिखाई देने लगी थी ख़ुशबू
यक़ीन की सल्तनत थी और सुल्तानी हमारी
उम्र की अव्वलीं अज़ानों में
सब्ज़-खेतों से उमड़ती रौशनी तस्वीर की
जिस की सौंधी सौंधी ख़ुशबू आँगन आँगन पलती थी
जब मुंडेरों पे परिंदों की कुमक जारी थी
हुज्रा-ए-ख़्वाब से बाहर निकला
हमारे बस में क्या है और हमारे बस में क्या नहीं
गली का मंज़र बदल रहा था
दिल के सूने सहन में गूँजी आहट किस के पाँव की
भुला दिया भी अगर जाए सरसरी किया जाए
बे-सबब हो के बे-क़रार आया