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माना वो छुपने वाला हर दिल में छुप जाएगा - हामिदुल्लाह अफ़सर कविता - Darsaal

माना वो छुपने वाला हर दिल में छुप जाएगा

माना वो छुपने वाला हर दिल में छुप जाएगा

लेकिन ढूँढने वाला भी ढूँडेगा और पाएगा

क्या होता है मोहब्बत में ये मुझ को मालूम नहीं

जिस ने आग लगाई है वही आग बुझाएगा

मैं तो नाम का माली हूँ फूलों का रखवाला हूँ

जिस ने बेल लगाई है ख़ुद परवान चढ़ाएगा

जिस ने ख़िज़ाँ को भेजा है उस के पास बहार भी है

जिस ने बाग़ उजाड़ा है वो ख़ुद फूल खिलाएगा

'अफ़सर' मेरे कानों में जैसे कोई ये कहता है

वो सरकार हमारी है बे-माँगे भी पाएगा

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