असर देखा दुआ जब रात-भर की
असर देखा दुआ जब रात-भर की
ज़िया कुछ कुछ है तारों में सहर की
हुए रुख़्सत जहाँ से सुब्ह होते
कहानी हिज्र में यूँ मुख़्तसर की
तड़प उठ्ठे लहद में सोने वाले
ज़मीं की सम्त यूँ तुम ने नज़र की
सहर को मौत की माँगी दुआएँ
दुआ मक़्बूल होती है सहर की
ये बिजली है कि ऐ अब्र-ए-शब-ए-हिज्र
है धज्जी एक दामान-ए-सहर की
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