Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_29f37933c39022c5ead5c659cb70020e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बस उसी का सफ़र-ए-शब में तलबगार है क्या - हामिदी काश्मीरी कविता - Darsaal

बस उसी का सफ़र-ए-शब में तलबगार है क्या

बस उसी का सफ़र-ए-शब में तलबगार है क्या

तू ही ऐ माह मिरा हमदम ओ ग़म-ख़्वार है क्या

तेशा-दर-दस्त उमँड आई है आबादी तमाम

सब यही कहते हैं देखें पस-ए-दीवार है क्या

हाँ इसी लम्हे में होता है सितारों का नुज़ूल

शहर-ए-ख़्वाबीदा में कोई दिल-ए-बेदार है क्या

जिस्म तो जिस्म है मजरूह हुई है जाँ भी

अपनों के होते हुए शिकवा-ए-अग़्यार है क्या

थरथरी पत्तों पे है दर्द-ब-जाँ हैं कलियाँ

तू भी ऐ बाद-ए-सहर दरपए-आज़ार है क्या

लब हिलाने की सकत है न क़दम उठते हैं

सामने जो भी है दलदल में गिरफ़्तार है क्या

(698) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Bas Usi Ka Safar-e-shab Mein Talabgar Hai Kya In Hindi By Famous Poet Hamidi Kashmiri. Bas Usi Ka Safar-e-shab Mein Talabgar Hai Kya is written by Hamidi Kashmiri. Complete Poem Bas Usi Ka Safar-e-shab Mein Talabgar Hai Kya in Hindi by Hamidi Kashmiri. Download free Bas Usi Ka Safar-e-shab Mein Talabgar Hai Kya Poem for Youth in PDF. Bas Usi Ka Safar-e-shab Mein Talabgar Hai Kya is a Poem on Inspiration for young students. Share Bas Usi Ka Safar-e-shab Mein Talabgar Hai Kya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.