Ghazals of Hamidi Kashmiri
नाम | हामिदी काश्मीरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hamidi Kashmiri |
जन्म की तारीख | 1932 |
जन्म स्थान | Shrinagar |
ये चलती-फिरती सी लाशें शुमार करने को
यक-ब-यक क्यूँ बंद दरवाज़े हुए
शनासा-ए-हक़ीक़त हो गए हैं
शाम से ज़ोरों पे तूफ़ाँ है बहुत
सहर-ना-आश्ना कोई नहीं है
निगाह-ए-शौक़ क्यूँ माइल नहीं है
मुझ को मरने की कोई उजलत न थी
लैल-ए-शब-ताब चटानों में नहीं
ख़ुद ख़मोशी के हिसारों में रहे
ख़ुद ही बे-आसरा करते हैं
हम कहाँ कुंज-नशीनों में रहे
चाँद कोहरे के जज़ीरों में भटकता होगा
बस उसी का सफ़र-ए-शब में तलबगार है क्या
आए मशरिक़ से शहसवार बहुत