Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a9b662f47be2b6c4acb8038f30dce9e9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न जाने कब लिखा जाए - हमीदा शाहीन कविता - Darsaal

न जाने कब लिखा जाए

तहय्युर की फ़ज़ाओं में

कोई ऐसा परिंदा है

जो पकड़ाई नहीं देता

है कोई ख़्वाब ऐसा भी

अज़ल से है जो अन-देखा

कोई ऐसी सदा भी है

समाअ'त से वरा है जो

बसारत की हदों से दूर इक मंज़र है जो अब तक

तसव्वुर में नहीं आया

कहीं कुछ है

जो इक पल दिल में आ ठहरे

तो जिस्म-ओ-जान के होने का इक बैन-ए-हवाला हो

जो गीतों में उतर आए

तो इस धरती से नीले आसमाँ तक वज्द तारी हो

जो लफ़्ज़ों में रचे तो बात फूलों की तरह महके

अगर लम्हों में धड़के तो ज़मानों में सदा फैले

अगर मंज़र के अंदर हो

तो बीनाई को अपना हक़ अदा करने की जल्दी हो

वो शायद है

इक ऐसी दास्ताँ जो रूह के अंदर है पोशीदा

इक ऐसी साँस जो सीने की तह में छुप के सोई है

इक ऐसा चाँद जो अफ़्लाक से बाहर चमकता है

मुक़द्दर ही बदल जाए

उसे गर लिख दिया जाए

हमारे दरमियाँ होना

(1030) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Na Jaane Kab Likha Jae In Hindi By Famous Poet Hamida Shahin. Na Jaane Kab Likha Jae is written by Hamida Shahin. Complete Poem Na Jaane Kab Likha Jae in Hindi by Hamida Shahin. Download free Na Jaane Kab Likha Jae Poem for Youth in PDF. Na Jaane Kab Likha Jae is a Poem on Inspiration for young students. Share Na Jaane Kab Likha Jae with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.