मुश्तरका मफ़ाद
अर्ज़-ए-तश्कीक के
ज़र्रा-ए-बे-नुमू
तेरी आग़ोश में
मेरी उम्मीद है
उस को आज़ाद कर
फूलने दे उसे
फल उतरने लगेगा
तो तेरी भी क़िस्मत बदल जाएगी
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अर्ज़-ए-तश्कीक के
ज़र्रा-ए-बे-नुमू
तेरी आग़ोश में
मेरी उम्मीद है
उस को आज़ाद कर
फूलने दे उसे
फल उतरने लगेगा
तो तेरी भी क़िस्मत बदल जाएगी
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