Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5da38ec457a4ac492e1b8f26351a8320, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
लुग़त महदूद है - हमीदा शाहीन कविता - Darsaal

लुग़त महदूद है

उदासी बात करती है किसी अंजान बोली में

सुकूँ का फूल दिल के शाख़चों से तोड़ लेती है

ये नींदों को उठा लेती है आँखों के कटोरों से

कभी खोई हुई यादें कहीं से खोज लाती है

बहुत सी अन-कही बातें कहीं से घेर लाती है

हथेली पर सजा लाती है वो सूखे हुए पत्ते

रची है जिन के रेशों में कोई भूली हुई ख़ुश्बू

लिखे हैं जिन पे गुज़रे मौसमों के दिल-नशीं लम्हे

पुराने से पुराना क़ुफ़्ल पल में खोल देती है

उदासी जा उतरती है

बदन के उन जज़ीरों पर

जिन्हें वीरान रखना हो

उदासी टिमटिमाती है

लहू के उन इलाक़ों में

जिन्हें तारीक रखना हो

(1036) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Lughat Mahdud Hai In Hindi By Famous Poet Hamida Shahin. Lughat Mahdud Hai is written by Hamida Shahin. Complete Poem Lughat Mahdud Hai in Hindi by Hamida Shahin. Download free Lughat Mahdud Hai Poem for Youth in PDF. Lughat Mahdud Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Lughat Mahdud Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.