Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_efaa45747b0c71b0fa526ce45496e4f7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इक जादूगर है आँखों की बस्ती में - हमीदा शाहीन कविता - Darsaal

इक जादूगर है आँखों की बस्ती में

इक जादूगर है आँखों की बस्ती में

तारे टाँक रहा है मेरी चुनरी में

मेरे सख़ी ने ख़ाली हाथ न लौटाया

ढेरों दुख बाँधे हैं मेरी गठड़ी में

कौन बदन से आगे देखे औरत को

सब की आँखें गिरवी हैं इस नगरी में

जिन की ख़ुशबू छेद रही है आँचल को

कैसे फूल वो डाल गया है झोली में

जिस ने मेहर-ओ-माह के खाते लिखने हों

मैं इक ज़र्रा कब तक उस की गिनती में

इश्क़ हिसाब चुकाना चाहा था हम ने

सारी उम्र समा गई एक कटौती में

हर्फ़-ए-ज़ीस्त को मौत की दीमक चाट भी ले

कब से हूँ महसूर बदन की घाटी में

(1133) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek Jadugar Hai Aankhon Ki Basti Mein In Hindi By Famous Poet Hamida Shahin. Ek Jadugar Hai Aankhon Ki Basti Mein is written by Hamida Shahin. Complete Poem Ek Jadugar Hai Aankhon Ki Basti Mein in Hindi by Hamida Shahin. Download free Ek Jadugar Hai Aankhon Ki Basti Mein Poem for Youth in PDF. Ek Jadugar Hai Aankhon Ki Basti Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Jadugar Hai Aankhon Ki Basti Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.