Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c0dec6a69e47e40a3458b91686cf11e2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
साँस लेने के लिए ताज़ा हवा भेजी है - हामिद सरोश कविता - Darsaal

साँस लेने के लिए ताज़ा हवा भेजी है

साँस लेने के लिए ताज़ा हवा भेजी है

ज़िंदगी के लिए मासूम दुआ भेजी है

मैं ने भेजी थी गुलाबों की बशारत उस को

तोहफ़तन उस ने भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा भेजी है

मैं तो क़ातिल था बरी हो के भी क़ातिल ही रहा

मुझ को इंसाफ़ ने जीने की सज़ा भेजी है

कितने ग़म हैं जो सर-ए-शाम सुलग उठते हैं

चारा-गर तू ने ये किस दुख की दवा भेजी है

मरहले और भी थे जाँ से गुज़रने के लिए

कर्बला किस ने पस-ए-कर्ब-ओ-बला भेजी है

(949) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sans Lene Ke Liye Taza Hawa Bheji Hai In Hindi By Famous Poet Hamid Sarosh. Sans Lene Ke Liye Taza Hawa Bheji Hai is written by Hamid Sarosh. Complete Poem Sans Lene Ke Liye Taza Hawa Bheji Hai in Hindi by Hamid Sarosh. Download free Sans Lene Ke Liye Taza Hawa Bheji Hai Poem for Youth in PDF. Sans Lene Ke Liye Taza Hawa Bheji Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Sans Lene Ke Liye Taza Hawa Bheji Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.