हामिद सरोश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हामिद सरोश
नाम | हामिद सरोश |
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अंग्रेज़ी नाम | Hamid Sarosh |
मैं ने भेजी थी गुलाबों की बशारत उस को
कितने ग़म हैं जो सर-ए-शाम सुलग उठते हैं
शहर-ए-तरब में आज अजब हादिसा हुआ
साँस लेने के लिए ताज़ा हवा भेजी है
रात काटी है जाग कर बाबा
हर शख़्स अपने आप में सहमा हुआ सा है