Love Poetry of Hamid Jeelani
नाम | हामिद जीलानी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Hamid Jeelani |
बशारत के कासों में
कोई दूद से बन जाता है वजूद
क़बा-ए-गर्द हूँ आता है ये ख़याल मुझे
ख़ाक पर फेंका हवाओं ने उठा ले मुझ को
दिन को न घर से जाइए लगता है डर मुझे
देखने वाले को बाहर से गुमाँ होता नहीं
भूल जा मत रह किसी की याद में खोया हुआ
अपने हिसार-ए-जिस्म से बाहर भी देखते