भूल जा मत रह किसी की याद में खोया हुआ
भूल जा मत रह किसी की याद में खोया हुआ
इस अँधेरे ग़ार में कुछ भी नहीं रक्खा हुआ
रौशनी मिल जाए तो मतलब इबारत का समझ
है किताब-ए-ख़ाक में कालक से कुछ लिक्खा हुआ
छू के जब देखा मुझे बेहद पशेमानी हुई
वहम का पैकर था मेरे सामने बैठा हुआ
इस मकाँ में देर से शायद कोई रहता नहीं
दर खुले दालान सारा काई में डूबा हुआ
जागता है फिर भी आँखों में है मंज़र नींद का
ख़्वाब की सूरत हूँ उस के हर तरफ़ फैला हुआ
सब के सब 'हामिद' यहाँ गुम-सुम हैं अपने-आप में
हूँ खिलौनों से सजे बाज़ार में आया हुआ
(890) Peoples Rate This