Sad Poetry of Hamid Allahabadi
नाम | हामिद इलाहाबादी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Hamid Allahabadi |
सुब्ह भी अपनी शाम भी अपनी
जज़्बात तेज़-रौ हैं कि चश्मे उबल पड़े
हर वफ़ा ना-आश्ना से भी वफ़ा करना पड़ी
फ़रेब दे न कहीं अज़्म-ए-मुस्तक़िल मेरा
नाम | हामिद इलाहाबादी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Hamid Allahabadi |
सुब्ह भी अपनी शाम भी अपनी
जज़्बात तेज़-रौ हैं कि चश्मे उबल पड़े
हर वफ़ा ना-आश्ना से भी वफ़ा करना पड़ी
फ़रेब दे न कहीं अज़्म-ए-मुस्तक़िल मेरा