Ghazals of Hamid Allahabadi
नाम | हामिद इलाहाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hamid Allahabadi |
सुब्ह भी अपनी शाम भी अपनी
जज़्बात तेज़-रौ हैं कि चश्मे उबल पड़े
हर-चंद दूर दूर वो हुस्न-ओ-जमाल है
हर वफ़ा ना-आश्ना से भी वफ़ा करना पड़ी
फ़रेब दे न कहीं अज़्म-ए-मुस्तक़िल मेरा
इक रोज़ जो गुलशन में वो जान-ए-बहार आए