नौ-ब-नौ ये जल्वा-ज़ाई ये जमाल-ए-रंग-रंग

नौ-ब-नौ ये जल्वा-ज़ाई ये जमाल-ए-रंग-रंग

मोहलत-ए-दिल एक लहज़ा दामन-ए-नज़्ज़ारा तंग

है कहाँ वो आग जो रौशन रखे दिल का अलाव

बर्क़-ए-जौलाँ महज़ चश्मक शो'ला-ए-गुल महज़ रंग

ऐ जुनूँ तीर-ए-मलामत का कोई उनवाँ निकाल

कैसा चिपका है बदन पर फ़िर्क़ा-ए-नामूस-ओ-नंग

अब ये उस का अज़्म तय कर ले जो राह-ए-आरज़ू

हर-क़दम दाम-ए-तहय्युर हर-क़दम दीवार-ए-संग

आज देखा सब ने क़ातिल की तही-दस्ती का हाल

सैल-ए-ख़ून-ए-आशिक़ाँ में बह गए शमशीर-ओ-संग

(635) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nau-ba-nau Ye Jalwa-zai Ye Jamal-e-rang-rang In Hindi By Famous Poet Hameed Naseem. Nau-ba-nau Ye Jalwa-zai Ye Jamal-e-rang-rang is written by Hameed Naseem. Complete Poem Nau-ba-nau Ye Jalwa-zai Ye Jamal-e-rang-rang in Hindi by Hameed Naseem. Download free Nau-ba-nau Ye Jalwa-zai Ye Jamal-e-rang-rang Poem for Youth in PDF. Nau-ba-nau Ye Jalwa-zai Ye Jamal-e-rang-rang is a Poem on Inspiration for young students. Share Nau-ba-nau Ye Jalwa-zai Ye Jamal-e-rang-rang with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.