किस शान से गए हैं शहीदान-ए-कू-ए-यार
क़ातिल भी हाथ उठा के शरीक-ए-दुआ हुए
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Jaun Eliya
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(657) Peoples Rate This
कैसा ग़ज़ब ये ऐ दिल-ए-पुर-जोश कर दिया
भूली नहीं उजड़े हुए गुलशन की बहारें
ऐ दोस्त दर्द-ए-दिल का मुदावा किया न जाए
फिर गई इक और ही दुनिया नज़र के सामने
आने लगे हैं वो भी अयादत के वास्ते
सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा
हुई मुद्दत कि उन को ख़्वाब में भी अब नहीं देखा
कल शाम लब-ए-बाम जो वो जल्वा-नुमा था
किस वहम में असीर तिरे मुब्तला हुए
आ के वो मुझ ख़स्ता-जाँ पर यूँ करम फ़रमा गया
उन की जफ़ाओं पर भी वफ़ा का हुआ गुमाँ