मिरी आँखों से हट कर कुछ नहीं है
मिरी आँखों से हट कर कुछ नहीं है
तिरी दुनिया का मंज़र कुछ नहीं है
कोई नेज़ा कोई सज्दा अता कर
अभी तक तो मिरा सर कुछ नहीं है
तिरे जुग़राफ़िया की दस्तरस में
मिरी बस्ती मिरा घर कुछ नहीं है
यही दो चार रस्ते हैं यहाँ के
यहाँ खो जाएँ तो डर कुछ नहीं है
ख़लाएँ हाथ आएँगी तुम्हारे
मिरी चुटकी से बाहर कुछ नहीं है
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