Love Poetry of Hameed Almas
नाम | हमीद अलमास |
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अंग्रेज़ी नाम | Hameed Almas |
शहर-ए-आरज़ू
न सताइश की तमन्ना
दरयूज़ा-गरी
बर्फ़ की वादी
यूँ भी क्या था और अब क्या रह गया
याद माज़ी के चराग़ों को बुझाया न करो
उस के करम से है न तुम्हारी नज़र से है
सरहद-ए-गुल से निकल कर हम जुदा हो जाएँगे
रख दिया है मिरी दहलीज़ पे पत्थर किस ने
हर्फ़-ए-ग़ज़ल से रंग-ए-तमन्ना भी छीन ले
घर है तो दर भी होगा दीवार भी रहेगी
चुरा के मेरे ताक़ से किताब कोई ले गया