तिश्ना-ए-अज़ली

सब में शामिल है

लब-ए-साहिल पे उजले संग-रेज़ो का वजूद

जगमगाती सी जबीनों से

ये अंदाज़ा भी कर सकते हैं

वो मुतमइन से हैं मगर

तिश्नगी का कर्ब

होंटों से बयाँ होता नहीं

आती जाती मौज-ए-दरिया

ये समझती है हमेशा

संग-रेज़े भी हैं उस से फ़ैज़-याब

जब भी छूटी संग-रेज़ो से रिदा-ए-एहतियात

उन की सफ़ पर

धूप का हमला हुआ

तिश्नगी का माजरा रुस्वा हुआ

(810) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tishna-e-azali In Hindi By Famous Poet Hameed Almas. Tishna-e-azali is written by Hameed Almas. Complete Poem Tishna-e-azali in Hindi by Hameed Almas. Download free Tishna-e-azali Poem for Youth in PDF. Tishna-e-azali is a Poem on Inspiration for young students. Share Tishna-e-azali with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.