हवा की पुश्त पर
हुआ की पुश्त पे कितने नुक़ूश कंदा हैं
कहीं नफ़स की लकीरें
कहीं बिसात-ए-हुनर
हयात ओ मौत के परतव
अलम की परछाईं
लहू के रंग में डूबा हुआ फ़लक का धुआँ
कभी ज़मीन का दामन ग़ुबार-आलूदा
कभी गरजता हुआ सैल-ए-बे-कराँ लर्ज़ां
मिसाल-ए-हर्फ़-ए-तमन्ना ये नक़्श मिट न सके
हवा की पुश्त पे कब से नुक़ूश कंदा हैं
(970) Peoples Rate This